2009 में मैंने इंजीनियरिंग पूरी की और फिर 2018 तक बिना रुके सिर्फ काम पर ध्यान दिया। हमेशा ही नौकरी करने से भी बढ़कर करियर बनाने की चाह थी। इसलिए पूरी निष्ठा से अपना काम करती गयी, अपना कौशल बढ़ाने के लिए अपनी नौकरी को ज़्यादा से ज़्यादा समय दिया। शादी के बाद पति ने भी पूरा सहयोग किया और देखते ही देखते लगने लगा कि ज़्यादा नहीं पर एक छोटा सा मुकाम तो मैंने हासिल किया है।

फिर एक दिन पता चला कि मैं माँ बनने वाली हूँ। बहुत ख़ुशी की बात थी। समय बीतता गया, प्रेगनेंसी में भी मैं उतना ही काम कर थी व करियर पर पूरा ध्यान था। फिर धीरे धीरे अपने ही लोग कहने लगे कि अब आने वाले बच्चे पर ध्यान दो, काम छोड़ना भी पड़े तो छोड़ दो।
बच्चे कि परवरिश ज़रूरी है। काम का क्या है, कुछ साल बाद दोबारा नौकरी शुरू कर लेना।

जब मैं इस चीज़ पर अडिग दिखी कि काम तो करना ही है तो बातें बननी शुरू होने लगीं। पर मैं ये समझने को तैयार न थी कि आखिर अपने काम को भी तो मैंने एक बच्चे की तरह ही समय व प्यार दिया है। अचानक से उसे कैसे छोड़ सकती हूँ।
खैर, डिलीवरी के तीन महीने के अंदर ही मैंने वापिस नौकरी शुरू कर दी। लोगों ने फिर बोला कि ये बच्चे के लिए ठीक नहीं है। पर मुझे घर में बिताये तीन महीनों में ये समझ आ चुका था कि मेरी ख़ुशी घर में रहकर नहीं थी।

लोगों ने कहा कि कैसी माँ है जो बच्चे के लिए इतना सा त्याग नहीं कर पायी। पर मुझे समझ आ चुका था कि मेरी और मेरे परिवार की ख़ुशी किस चीज़ में है। मैंने वही किया जो मुझे अपने और अपने बच्चे के लिए ठीक लगा।

यदि समाज इसकी स्वीकृति मुझे नहीं देता है, तो हाँ हूँ मैं एक महत्वकांशी माँ, पर माँ फिर भी हूँ।

2 Comments
  1. Saurabh Bansal 5 years ago

    You are a great person, keep growing

  2. Mariya 5 years ago

    V nice di.. u r an inspiration for all d moms who want to follow their dreams nd God hs chosen the best mom for roman 🙂

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