नौकरी करनी चाही तो बच्चो ने रोक दिया
कुछ घर पर ही करना चाहा तो सबने टोक दिया
तुम माँ हो, तुम अपना वक़्त बच्चो से भला कैसे छीन सकती हो
तुम माँ हो, तुम अपने लिए कैसे जी सकती हो
उपरोक्त पंक्तियाँ सिर्फ पंक्तियाँ नहीं बल्कि वो अनुभव है जिससे होकर भारत में हर बच्चा व हर माँ गुज़री है।
शायद यही वजह है कि मदर्स डे पर कवयित्री अनामिका जोशी द्वारा बोली गयी कविता “#maatumbhigalathosaktiho को लोगों ने जी भर के सराहा व शेयर किया है।
माँ तुम दोस्तों के सामने नाक मत कटवाना,
सुनो माँ, तुम स्कूल में कुछ प्रॉपर पहन के आना।
माँ से अपेक्षाएं करते करते हम कब उनकी उपेक्षा कर चुके होते हैं ये अक्सर हमे भी याद नहीं रहता।
बचपन से हम बच्चों ने माँ पर कुछ ऐसा प्यार जताया
कि माँ को हमेशा सही करने के लिए मजबूर ही पाया
माँ को हमने भगवन का दर्ज़ा दिया है और ऐसा करके उससे गलत होने का हक़ भी छीन लिया है।
भगवान बनाकर उनसे इंसान होने का हक़ न छीनें,
सुपर वुमन बोलकर उन्हें हर काम न सौंपे,
उन्हें गलतियां करने का हक़ दें, उन्हें उनके हिसाब से जीने दें
चलिए माँ को माँ ही रहने दें।
वीडियो यहाँ देखें
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